Wednesday 27 June 2012

'मेरे मोतियों का संदूक'




मुफलिस * नहीं हूँ मैं,
बस एक बेबस सी रूह हूँ,
नहीं बैठा किसी उची बिसात पर,
मगर मखालिस * नहीं हूँ मैं,
*poor, *greedy 

दावा नहीं है मेरे पास,
मगर तेरी याद के मोती हैं,
झुक सकता हूँ मैं हाथ फ़ैलाने को,
मगर नहीं गिर सकता इतना,
कैसे ये दौलत बेच दूं मैं,

भीगना मत तू,
मेरी इस अशब की ओस में,
मुझे इस हाल में देख कर,
इस संदूक की रोशनी से पेट भर लेता हूँ,
भूखा नहीं सोता मैं,

है एक फूल गुलाब का,
मुरझाये से रंगों में पड़ा,
और हैं कुछ निशाँ,
उन चुभे काँटों के,
जिन्हें साथ रखता हूँ मैं,

हैं कुछ टुकड़े पन्नो के,
तुम्हारे नाम के लफ़्ज़ों में सजे,
और हैं कुछ सफ़ेद सफा के हिस्से,
तुम्हारे एहसास में जो अधूरे रह गए थे,
इनको ही पढता रहता हूँ मैं,


रखा है बांध कर मैंने,
कुछ लम्हों के सूखे पत्तों को,
और हैं कुछ तसवीरें,
बीते पलों को बयान करती,
बस इनको घूरा करता हूँ मैं,

सांसें छोड़ जाऊँगा मैं अपनी,
रूह से नाता कैसे तोड़ दूं,
रखूँगा महफूज़ इन्हें में जन्नत में,
खुदा से ज़िन्दगी का सौदा किया है,
कैसे तुझसे नाता तोड़ दूँ मैं.. 

- नेहा सेन 

सर्वाधिकार सुरक्षित ! 

Friday 22 June 2012

'जब हम ना होंगे'

कुछ होंगी यादें हमारी,
और बदलते मौसम होंगे,
उन भीगे लम्हों में,
जब हम ना होंगे,
 

होंगे कुछ कोरे कागज़,
और कुछ बिखरी तस्वीरे होंगी,
उन अनकहे लफ्जों में,
जब हम ना होंगे,

होंगे गूंजते गीत यही,
और कुछ गुमसुम धुनें होंगी,
उन बेजान ग़ज़लों में,
जब हम ना होंगे,

होंगी भीड़ ऐसी ही,
और सुनसान डगर होगी,
उन अजनबी रास्तों में,
जब हम ना होंगे,

होंगी बेजान बारिशें,
और खामोश झरोखे होंगे,
उस तनहा कमरे में,
जब हम ना होंगे,
 

होगी स्याही बहुत मगर,
खली तुम्हारी कलम होगी,
उन बेजुबान एहसासों में,
जब हम ना होंगे,

होगी बसर ज़िन्दगी यूँ ही,
और कमी एक छुपी सी होगी,
इस सफ़र-ऐ-ज़िन्दगी में,
जब हम ना होंगे !

- नेहा सेन

सर्वाधिकार सुरक्षित ! 

Tuesday 5 June 2012

'जाने कौन हो तुम मेरे'




जाने कौन हो तुम मेरे,
हो अजनबी चेहरा कोई,
या मेरे लिए ही तुम आये हो,
हो बूँद सा एहसास कोई,
रूह को छु जाते हो,
धुंध में छुपी परछाई सा,
धीमे से करीब आते हो,
कहते कुछ नहीं तुम,
पर बातें कई कर जाते हो,
चुपके से यूँ ही,
धुन अक्सर सुना जाते हो,
मुस्कुरा कर यूँ ही,
दूरियां फन्हा कर जाते हो,
खामोश नज़रो से यूँ ही,
हमें अपना कह जाते हो,
जाने हो परछाई ख्वाबो की,
या खुली पलकों की हकीक़त हो,
कहते कुछ नहीं तुम,
पर सवाल हज़ार छोड़ जाते हो,
जाने कौन हो तुम मेरे,
रूह से नाता निभा जाते हो ! 

- नेहा सेन